अर्ज़ किया है:
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो;
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो;
वाह! वाह!
पैंटी ना पहनो कोई बात नहीं, कम से कम बगीचा तो साफ़ रखो।
अर्ज़ किया है:
नादान है कितनी वो, कुछ समझती ही नहीं;
सीने से लिपटकर पूछती है, "ये नीचे से क्या चुभ रहा है?"
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
वाह वाह।
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
वो पैंटी पहनने ही वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे।
रात होगी तो कंडोम भी दुहाई देगा;
टांगो के बीच सारा जहां दिखाई देगा;
ये काम है जानी, जरा संभलकर करना;
एक कतरा भी गिरा तो 9 महीने बाद सुनाई देगा।
गम में भी हमको जीना आता है;
सेक्स करके भी पसीना आता है;
एक हम हैं कि तुम्हें अक्सर मैसेज करते हैं;
एक तुम्हारा मैसेज है, जैसे औरतों को महीना आता है
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो;
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो;
वाह! वाह!
पैंटी ना पहनो कोई बात नहीं, कम से कम बगीचा तो साफ़ रखो।
अर्ज़ किया है:
नादान है कितनी वो, कुछ समझती ही नहीं;
सीने से लिपटकर पूछती है, "ये नीचे से क्या चुभ रहा है?"
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
वाह वाह।
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
वो पैंटी पहनने ही वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे।
रात होगी तो कंडोम भी दुहाई देगा;
टांगो के बीच सारा जहां दिखाई देगा;
ये काम है जानी, जरा संभलकर करना;
एक कतरा भी गिरा तो 9 महीने बाद सुनाई देगा।
गम में भी हमको जीना आता है;
सेक्स करके भी पसीना आता है;
एक हम हैं कि तुम्हें अक्सर मैसेज करते हैं;
एक तुम्हारा मैसेज है, जैसे औरतों को महीना आता है
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